1. मृदा नमी -संरक्षण के तरीकों का अपनाया जाना2. आन्ध्र प्रदेश में मृदा नमी संरक्षण (एसएमसी) संरचनाए ँ 3. परियोजना (मृदा नमी और महासागर लवणता). 4. इससे वन आच्छादित क्षेत्र में वृध्दि होती है और मृदा नमी क्षेत्र में निरंतर सुधार होता है। 5. ४. बीज को रातभर पानी मे भिगोकर २४ घन्टे रखकर जमाव करके उचित मृदा नमी पर बोंयें। 6. यदि मृदा नमी में कमी हो तो इसे बुवाई से पूर्व पलेवा करके पूरा किया जा सकता है। 7. खेत को खर-पतवार से मुक्त रखने एवं मृदा नमी संरक्षण के उद्देश्य से प्रत्येक सिंचाई के बाद गुड़ाई करना चाहिये। 8. दोमट भूमि जिसमें गन्ने की खेती सामान्यत: की जाती है, में 12 से 15 प्रतिशत मृदा नमी अच्छे जमाव के लिये उपयुक्त है। 9. 5-अत्यधिक वर्षा की अवधि में जल को ठिकाने लगाने के लिए तथा मृदा नमी को सुरक्षित रखने के लिए सीढ़ीदार खेतों का निर्माण करना। 10. पेड़ों व झाड़ियों की पत्तियों सहित छोटी-छोटी टहनियों को अवरोध पर्त के रूप में प्रयोग करने से फसलों के लिए मृदा नमी संरक्षित होती है।